गौडसे के पुजारियो का गांधी की शरण में जाना जरूरी है या मजबूरी ? ये गांधी की ताकत है या फिर संघियो की मजबूरी ?
जिस गांधी को पूरा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और पूरी भगवा ब्रिगेड और नाथूराम गोडसे के पुजारी देश के बटवारे का आरोपी लाखो हिंदुओ का हत्यारा बता कर पूरे पांच साल पानी पी पी कर गलियां देते है आज फिर उन्हीं की पार्टी के तथाकथित स्वघोषित विश्वगुरु हिंदू हृदय सम्राट देश के प्रधान मंत्री पद की तीसरी बार शपथ लेने वाले नरेन्द्र मोदी जी शपथ लेने से पूर्व उसी गांधी के चरणों में आशीर्वाद लेने के लिए मजबूर है जिसे दुनियां महात्मा गांधी जी के नाम से जानती है ।
अब सवाल यह है की अगर गांधी वास्तव में ही देश के बटवारे और लाखो हिंदुओ की हत्या के दोषी है तो फिर खुद को राष्ट्रभक्त और हिन्दू ह्रदय सम्राट कहने वाले मोदी जी गांधी के चरणों में आशीर्वाद लेने क्यों जाते है ?
गांधी जी की समाधि पर जाकर उनका आशीर्वाद लेने की मोदी जी की आखिर क्या मजबूरी है ?
अगर वास्तव में ही गांधी देश के बटवारे और लाखो हिंदुओ की हत्या के दोषी थे और नाथूराम राम गोडसे ही वास्तव में राष्ट्रभक्त और हिंदुओ का ह्रदय सम्राट था तो फिर स्वघोषित राष्ट्रभक्त हिंदू ह्रदय सम्राट नरेंद्र मोदी नाथूराम राम गोडसे का आशीर्वाद लेने उनकी शरण में क्यों नही जाते है ।
क्या ये केवल दोहरा चरित्र ही नही है मित्रो बल्कि नाथूराम गोडसे और उनके अनुयायियों के साथ धोखा भी है कि वोट तो गोडसे के नाम पर और आशीर्वाद गांधी जी का ?
राजीव कुमार शर्मा
मानव अधिकार पक्षकार