राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा मुस्लिम जोड़ों को विवाह प्रमाण-पत्र जारी करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई
राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा मुस्लिम जोड़ों को विवाह प्रमाण-पत्र जारी करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई
इमरान खान कलबुर्गी की रिपोर्ट कर्नाटक।
राज्य हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य वक्फ बोर्ड को 7 जनवरी तक विवाहित मुस्लिम जोड़ों को विवाह प्रमाण-पत्र जारी करने की अनुमति दी गई थी। इसने राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड को नोटिस भी जारी किए।
मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति के वी अरविंद की खंडपीठ ने बेंगलुरु के ए आलम पाशा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
“चूंकि प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला पाया गया है, इसलिए 30 अगस्त, 2023 के विवादित आदेश, जिसमें वक्फ बोर्ड और उसके अधिकारियों को विवाह प्रमाण-पत्र जारी करने की अनुमति दी गई थी, पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है। वक्फ बोर्ड या उसके अधिकारी अगले आदेश तक सरकारी आदेश के बहाने विवाह प्रमाण-पत्र जारी नहीं कर सकते। अदालत ने कहा, “यह विश्वास करना मुश्किल है कि बिना किसी योग्यता के वक्फ बोर्ड या अधिकारियों द्वारा जारी विवाह प्रमाण-पत्र को किसी आधिकारिक उद्देश्य के लिए वैध प्रमाण-पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।” आलम पाशा ने जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार के अल्पसंख्यक, वक्फ एवं हज विभाग के अवर सचिव द्वारा 30 अगस्त 2023 को जारी आदेश पर आपत्ति जताई थी, जो वक्फ अधिनियम 1995 के विरुद्ध था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सरस्वती ने कहा, वक्फ बोर्ड या वक्फ अधिकारियों को मुस्लिम समुदाय को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है। कोई भी समुदाय विवाह पंजीकरण अधिनियम और विशेष विवाह पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत विवाह का पंजीकरण करा सकता है। वक्फ अधिनियम के अपने विशेष उद्देश्य हैं। अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्ति और संबंधित मामलों को सुशासन प्रदान करना है। दलीलें और बचाव सुनने के बाद कोर्ट ने स्टे लगाते हुए सुनवाई 7 जनवरी 2025 तक के लिए स्थगित कर दी।