स्योहारा पुलिस पर ‘आग’ का दबाव – जब इंसाफ नहीं मिला तो थाने जाकर युवक ने खुद को जलाने की कोशिश की
स्योहारा पुलिस पर ‘आग’ का दबाव – जब इंसाफ नहीं मिला तो थाने जाकर युवक ने खुद को जलाने की कोशिश की
स्योहारा।
न्याय की तलाश में दर-दर भटकता एक युवक रविवार को थाने पहुंचा और पेट्रोल डालकर खुद को आग लगाने का प्रयास कर बैठा। पुलिसकर्मी दौड़े तो सही, लेकिन इससे पहले प्रशासन की कार्यशैली और महिला तहरीर की कहानी ने पूरे घटनाक्रम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए।
घटना दोपहर करीब 2:20 बजे की है। अर्जुन चंद्रा नामक युवक अचानक थाने में पेट्रोल की बोतल लेकर पहुंचा और खुद पर उड़ेल लिया। गनीमत रही कि ड्यूटी पर मौजूद दरोगा और सिपाहियों ने तुरंत पकड़ लिया, वरना स्योहारा थाना एक “आग का अखाड़ा” बन चुका होता।
दरअसल, अर्जुन चंद्रा का कहना है कि उसके दिवंगत पिता मनोज कुमार चंद्रा ने एक महिला से कर्ज लिया था। पिता की मौत के बाद महिला कर्ज वसूली के साथ-साथ उस पर दुराचार जैसे गंभीर आरोप भी मढ़ बैठी। अर्जुन का आरोप है कि महिला साफ कह रही थी – “कर्ज चुका दो वरना जेल की हवा खिला दूंगी।”

युवक ने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए। उसके मुताबिक महिला की तहरीर पर तुरंत कार्रवाई की बजाय पुलिस चार–पांच दिन फाइल दबाए बैठी रही और बार-बार उसके घर जाकर दबाव बनाती रही। इसी मानसिक दबाव में उसने आत्मदाह की कोशिश की।
सीओ अभय कुमार पांडेय का कहना है कि महिला द्वारा दिए गए दुराचार के मामले में जांच चल रही थी और युवक को हिरासत में लेकर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। वहीं थाना प्रभारी सत्येंद्र सिंह ने पुष्टि की कि अभियोग पंजीकृत किया जा रहा है।
अर्जुन ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर वह सचमुच दोषी था तो पुलिस ने इतने दिन तक तहरीर क्यों दबा रखी? उसने यह भी आरोप लगाया कि हाल ही में उसकी बहन के साथ हुई छेड़छाड़ मामले में पुलिस ने आरोपियों को बचा लिया और उल्टा उसी के परिवार को टारगेट कर रही है।
फिलहाल, युवक का प्रयास विफल तो हो गया लेकिन इस घटना ने स्योहारा पुलिस की कार्यशैली पर “काले धुएं” के मोटे बादल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि अगर इंसाफ के लिए थाने ही आगजनी का मंच बन जाए तो फिर आम जनता न्याय की गुहार कहां लगाए?





