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बिजनोर मेडिकल अस्पताल मे डायलिसिस के दौरान युवक की मौत – राज्य मानवाधिकार आयोग मे शिकायत दर्ज -पीड़ित परिवार को मुआवजा-संबंधित अधिकारियों पर गैर इरादतन हत्या का मामला हो दर्ज – डॉ तारिक़ ज़की

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बिजनोर मेडिकल अस्पताल मे डायलिसिस के दौरान युवक की मौत पर राज्य मानवाधिकार आयोग मे शिकायत दर्ज -पीड़ित परिवार को मुआवजा-संबंधित अधिकारियों पर गैर इरादतन हत्या का मामला हो दर्ज – डॉ तारिक़ ज़की ने की माँग

बिजनौर, 14 जून 2025 | संवाददाता-अमीन अहमद
बिजनोर मेडिकल अस्पताल, बिजनौर में चिकित्सा लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है, जहां डायलिसिस के दौरान बिजली आपूर्ति बाधित होने और वैकल्पिक व्यवस्था (जनरेटर) मे डीजल उपलब्ध न होने के कारण एक 26 वर्षीय युवक सरफ़राज़ की मृत्यु हो गई। इस हृदयविदारक घटना के संबंध में राज्य मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश ने मामला दर्ज करते हुए डायरी संख्या 3880/IN/2025 जारी की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक सरफराज़ पुत्र निसार निवासी ग्राम फुलसंदा, थाना नेहटौर, जिला बिजनौर, 13 जून 2025 को डायलिसिस हेतु बिजनोर मेडिकल अस्पताल में भर्ती था। उपचार के दौरान अचानक बिजली आपूर्ति ठप हो गई और जनरेटर चालू नहीं होने से डायलिसिस प्रक्रिया रुक गई, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई।

घटना के समय जिला मुख्य विकास अधिकारी, सीडीओ भी निरीक्षण के दौरान अस्पताल में मौजूद थे, जिससे प्रशासनिक लापरवाही और चिकित्सा अव्यवस्था की स्थिति और उजागर हो गई।
14 जून दैनिक अमर उजाला मे प्रकाशित समाचार का संज्ञान लेकर
घटना के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. तारिक़ ज़की, राष्ट्रीय महासचिव, वर्ल्ड एक्रेडिटेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स, द्वारा राज्य मानवाधिकार आयोग को विस्तृत शिकायती पत्र प्रेषित किया गया है शिकायत में उन्होंने इसे घोर चिकित्सा लापरवाही और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताते हुए संबंधित अधिकारियों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने, ₹25 लाख का मुआवजा प्रदान करने, तथा स्वतंत्र न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है।

शिकायत में डॉ ज़की ने मांग की गई है कि:

समस्त सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस जैसी आपात सेवाओं हेतु 24×7 जनरेटर सुविधा सुनिश्चित की जाए।

राज्य भर में मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू की जाए जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा शिकायत स्वीकार कर ली गई है और संबंधित विभागों से आयोग द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राथमिक जांच की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

डॉ ज़की ने कहा कि इस एक मृत्यु ने हज़ारो डायलिसिस रोगियों की सुरक्षा और समानजनक इलाज के अधिकार पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है यह घटना न केवल स्वास्थ्य तंत्र की विफलता को उजागर करती है बल्कि आम जन की सुरक्षा पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है।

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