वंचित राज्य निर्माण आन्दोलन कारीयों ने चिन्हिकरण हेतू सी एम् धामी को भेजा ज्ञापन

काशीपुर / उत्तराखंड,,,,काशीपुर के वंचित राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंपकर राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण की पुरजोर मांग उठाई है। ज्ञापन में कहा गया कि उत्तराखण्ड राज्य स्थापना हुये 25 वर्ष पश्चात भी काशीपुर के राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों का चिन्हीकरण कांग्रेस, भाजपा की पूर्व सरकारों ने नहीं किया। आपसे बहुत आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास भी था कि आप हमारे बीच के चिन्हित राज्य निर्माण राज्य आन्दोलनकारी हैं। आप हमारी पीड़ा समझेगें और हमें मान सम्मान दिलायेगें परंतु दूसरी बार उत्तराखण्ड राज्य का मुख्यमंत्री बनने के पश्चात भी आप हम काशीपुर के वंचित राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों का मान सम्मान चिन्हीकरण पहचानपत्र दिलवाने के प्रति चिन्तित नहीं दिखाई पड़ते जबकि आज तक काशीपुर से आपको बराबर मान सम्मान दिया जाता रहा है। ऐसा लगता है कि आपको काशीपुर के वंचित राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों का आन्दोलन, त्याग, खटीमा के राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों के सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि यहां के वंचित राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों ने पुलिस की लाठियां खाई गोलिया नहीं खाईं। घर परिवार छोड़कर जेल भेजे गये अपने आन्दोलनकारियों साथियो के जेल जाने के पश्चात भी सड़के जाम, बाजार बन्द, ट्रेनो का चक्का जाम सरकारी कार्यालयों की तालाबन्दी सहित उग्र आन्दोलन किये गये अपने घरों से भूमिगत रहते हुये। मान्यवर, हम वंचित राज्य निर्माण आन्दोलनकारी अब भी पुलिस की गोलियां खाने को तैयार हैं कम से कम मरने के बाद तो शहीद कहलायेगें। सम्मान मिलेगा, हम उसको भी तैयार हैं। आप हम सब पर गोलियां चलवायें। हमने नारा भी दे दिया है विधानसभा भी गूंजेगी, संसद भी गूंजेगी, इतिहास रच देगें। राज्य स्थापना दिवस धूमधाम से मनायेगें। रंगों की होली होगी वो चाहे आन्दोलनकारियों के खून के रंग की होली हों। कफन बांधकर आयेगें राज्य स्थापना दिवस मनाने जिस राज्य को बनाने वालों का जब मान सम्मान न मिल सके और उनको सपनों के अनुसार राज्य में बेरोजगारों को रोजगार न मिल सके। जिस राज्य सरकार से कहना व करना पड़गा कि यांचना नहीं रण होगा, संग्राम बड़ा भीषण होगा चाहे कोई आत्मघाती कदम ही क्यो न उठाना पड़े। अब लडाई अपने मान सम्मान की है। जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की स्वतः होगी। अब आप निर्णय करें कि राज्य स्थापना से पहले काशीपुर ही नहीं पूरे राज्य की चिन्हीकरण से वंचित राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों का चिन्हीकरण खटीमा में हुई चिन्हीकरण के मानकों के आधरार पर किये जाने का शासनादेश अतिशीघ्र जारी किया जाये। अन्यथा काशीपुर आपका मान सम्मान किये जाने का उत्तरदायी नहीं होगा। अब आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी पीड़ा को एक राज्य आन्दोलनकारी होने के नाते समझते हुये मान सम्मान चिन्हीकरण करने वास्ते उचित न्यायपूर्ण आदेश शासनादेश जारी करेगें। आपको पूर्व में भी अवगत कराया गया था कि जब 2010 में काशीपुर कोतवाल श्री आरएस असवाल रहे उन्होंने उस वक्त के शासन प्रशासन के आदेशानुसार काशीपुर के उत्तराखण्ड राज्यनिर्माण आन्दोलन के सभी साक्ष्य रिकार्ड प्रशासनिक कार्यालयों काशीपुर कोतवाली, एलआईयू, आईबी, राज्य चिकित्सालय काशीपुर से गायब कर दिये गये जिस कारण उत्तराखण्ड सरकार द्वारा निर्धारित उत्तराखण्ड राज्यनिर्माण आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण मानको से संबंधित साक्ष्य वंचित राज्य आन्दोलनकारी देने में असमर्थ हैं। आपको ज्ञात हो कि सन 1994 से चल रहे उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन में काशीपुर के हजारो व्यापारी एडवोकेट छात्र संगठन राजनीतिक व गैर राजनैतिक संगठन मातृ शक्ति द्वारा सडको पर उतर कर बाजार बन्द, स्कूल कालिज शासन प्रशासनिक भवन, रेलवे को चक्काजाम, बंद आदि उग्र आन्दोलन किये गये जिस दौरान कई बार आन्दोलनकारियों को पुलिस की लाठी चार्ज का भी सामना करना पडा था। पंरतु चिन्हीकरण के लिये 250 के तकरीवन राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों ने आवेदन किया वह बराबर चिन्हीकरण मान सम्मान की लडाई लड रहे हैं। तराई क्षेत्र के आन्दोलनकारियों का दुर्भाग्य है कि उत्तराखण्ड राज्यको सबसे ज्यादा राजस्व तराई क्षेत्र से मिलता है और तराई क्षेत्र में सडको का चक्का जाम रेलवे लाईन जाम, बाजार बन्द आदि हर तरह का उग्र आन्दोलन राज्य आन्दोलनकारियों द्वारा नहीं किया गया होता तो उत्तराखण्ड राज्य निर्माण सम्भव नहीं था। ज्ञापन सौंपने वालों में शैलेंद्र कुमार मिश्रा, युगल किशोर सिंघल, वीरेंद्र चौहान,अर्चना लोहनी वीरेद्र शर्मा, चंद्रभूषण डोभाल, संदीप सहगल, सचिन शर्मा नाडिग, अमित कुमार, प्रदीप कुमार, मोहन सिंह बिष्ट, सनत कुमार पैगिया, विवेक मिश्रा, अरुण पंत आदि शामिल रहे





