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क्या अजीब राजनीति है ?सांप नेवले की तरह आपस में लड़ने वाले नेताओ का ऊँठ किस करवट बैठता है।

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क्या अजीब राजनीति है ?

दिल्ली-(राजीव शर्मा)- एक दिन नीतीश कुमार को आतंकी इशरत जहां का अब्बू बताने वाले अमित शाह, मोदी और अमित शाह को गोधरा काण्ड के मुस्लिमों का हत्यारा बताने वाले नीतीश कुमार एक ही मंच पर बैठे हुए एक दूसरे की तरीफो में कसीदे पढ़ रहे है ।

आज देश की आधे से अधिक जनता इसलिए खुश है , उसको लग रहा है की ये सब लोग देश की जनता के कल्याण के लिए एकजुट हुए है, जबकि सच यह है की सांप नेवले की तरह आपस में लड़ने वाले ये नेता आज जनकल्याण के लिए नही बल्कि देश की राजनीति में अपने खत्म होते राजनैतिक अस्तित्व को बचाने और देश की जनता का लूटा हुआ लूट का माल सुरक्षित करने के लिए एक मंच पर इक्कट्ठे हुए ।

आज की राजनैतिक तस्वीर को देखकर मुझे प्रकाश झा की फिल्म अपहरण का वो दृश्य याद आ रहा है की कैसे एक दूसरे के धुर विरोधी रहे गृह मंत्री दिनकर पांडे और विधायक तबरेज आलम एक दूसरे के सहयोग से सरकार बनाते है और दिनकर पाण्डे अपनी सरकार और खुद को बचाने के लिए गृह मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद भी जीवन भर अपहरण के धंधे में शामिल रहे विधायक तबरेज आलम को सौंप देते है , और एक दूसरे के पक्ष में एक दूसरे की जान लेने वाले उनके समर्थक देखते के देखते रह जाते है ।

अब देखना यह है की ये बेमेल की शादी कितने दिनों तक चलती है और इस बारात के बाराती इस बारात में दूल्हे के साथ कितनी दूर तक चलते है ।

राजीव कुमार शर्मा
मानव अधिकार पक्षकार

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