आम के बाग पर लकड़ी माफिया का कहर,वन विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में-वन संरक्षक लखनऊ को भेजी शिकायत-डॉ. तारिक़ ज़की ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
आईरा न्यूज़ नेटवर्क
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आम के बाग पर लकड़ी माफिया का कहर, वन विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में
वन संरक्षक लखनऊ को भेजी गई शिकायत में डॉ. तारिक़ ज़की ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
नजीबाबाद/लखनऊ, 11 जून 2025:
नजीबाबाद क्षेत्र के एक आम के बाग में हरे पेड़ों की अवैध कटान का मामला अब राज्य स्तर पर गूंजने लगा है। आईरा इंटरनेशनल रिपोर्टर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय चेयरमैन एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. तारिक़ ज़की ने आज मुख्य वन संरक्षक, लखनऊ को विस्तृत शिकायती पत्र भेजते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की मांग की है।
शिकायत में बताया गया है कि 23 फरवरी 2025 को दैनिक ‘जनवाणी’ में प्रकाशित समाचार के अनुसार, नजीबाबाद क्षेत्र के एक आम बाग से लकड़ी माफियाओं ने 12 हरे पेड़ अवैध रूप से काट दिए थे। इस पर वन विभाग ने पेड़ ज़ब्त किए थे और डीएफओ श्री ज्ञान सिंह द्वारा प्रेस को आश्वासन दिया गया था कि प्राथमिकी दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन, महीनों बीतने के बावजूद कोई विधिसम्मत या प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई। इस निष्क्रियता का लाभ उठाकर माफियाओं ने पूरे बाग के शेष हरे पेड़ों को रातों-रात काट डाला। जब बाग मालिक मोहम्मद अकरम ने स्थल पर पहुंचकर स्थिति देखी, तो बाग पूरी तरह उजड़ चुका था।
डॉ. तारिक़ ज़की ने अपने शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि नजीबाबाद रेंज के वन कर्मियों की भूमिका अत्यंत संदेहास्पद है। या तो वे अपनी जिम्मेदारियों के प्रति घोर लापरवाह हैं या फिर माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “इस प्रकार की घटनाएं केवल विभागीय मिलीभगत के बिना संभव नहीं हैं।”
उन्होंने पांच प्रमुख मांगें की हैं:
- उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन कर निष्पक्ष जांच कराई जाए।
- माफियाओं पर तत्काल FIR दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए।
- वन विभाग के दोषी कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित हो।
- बाग मालिक को आर्थिक क्षतिपूर्ति दी जाए।
- वन क्षेत्र में प्रभावी निगरानी प्रणाली लागू की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
डॉ. ज़की ने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिन के भीतर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे इस प्रकरण को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) व उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
शिकायत की प्रतिलिपि जिलाधिकारी बिजनौर, प्रमुख सचिव (वन एवं पर्यावरण), मंडलायुक्त मुरादाबाद तथा माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय को भी प्रेषित की गई है।
यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है, बल्कि प्रदेश में वन संपदा की सुरक्षा की विफलता को भी उजागर करता है। अब देखना यह है कि शासन इस पर कितनी गंभीरता से संज्ञान लेता है।
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