गुवाहाटी में पहला क्रीड एक्सपो: महिलाओं और युवाओं को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम
गुवाहाटी, असम: क्रीड एक्सपो 2024 का पहला संस्करण, एक ऐतिहासिक 12-दिवसीय आयोजन, 29 नवंबर से 10 दिसंबर 2024 तक गुवाहाटी के लक्षीधर बोरा क्षेत्र (दिघली पुखुरी के सामने) में आयोजित होगा। यह आयोजन कम्युनिटी फॉर रिसोर्स एलेवेशन एंड इफेक्टिव डेवलपमेंट (क्रीड) द्वारा आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाना और उनके हुनर व उद्यमशीलता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है।
यह एक्सपो पूर्वोत्तर भारत के शिल्पकारों, उद्यमियों, किसानों, उत्पादकों और स्टार्टअप्स को एक मंच प्रदान करेगा। यहां हस्तशिल्प, हथकरघा, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और कृषि आधारित उत्पादों की प्रदर्शनी लगेगी। इसके साथ ही, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, यूएई और भूटान जैसे देशों के उद्यमियों की भागीदारी से अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन मिलेगा। यह पूर्वोत्तर भारत के उद्यमियों को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने के सुनहरे अवसर भी प्रदान करेगा।
इस आयोजन को सरकारी संगठनों, जैसे नेडफी और डीसी हैंडीक्राफ्ट, तथा स्टार सीमेंट जैसे प्रमुख कॉरपोरेट्स का समर्थन प्राप्त है। यह भागीदारी एक्सपो की भूमिका को क्षेत्रीय उद्योगों को प्रोत्साहन देने और आर्थिक सशक्तिकरण के नए रास्ते बनाने के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।
उद्घाटन समारोह 29 नवंबर 2024 को सुबह 11 बजे होगा। असम के सांस्कृतिक कार्य मंत्री, आदरणीय श्री बिमल बोरा इस मौके पर मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा, प्रमुख विभागों और कॉरपोरेट्स के वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। एक्सपो को असमिया फिल्म अभिनेता रवि शर्मा और युवा आइकॉन सनिंद्या भुइयां का समर्थन भी मिला है, जो आयोजन में आकर्षण और उत्साह का संचार करेंगे।
क्रीड एक्सपो 2024, पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक और उद्यमशीलता की समृद्धि को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह गुवाहाटी को इन क्षेत्रों में एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास भी है। इस आयोजन से जुटाई गई धनराशि का उपयोग वंचित समुदायों, खासकर महिलाओं, को सशक्त बनाने में किया जाएगा। यह क्रीड के सामाजिक और आर्थिक विकास के मिशन के अनुरूप है।
यह पहल नवाचार, सांस्कृतिक धरोहर और उद्यमशीलता को एक साथ लाने की क्रीड की सोच को दर्शाती है। यह न केवल क्षेत्र के विकास को गति देगा, बल्कि पूर्वोत्तर भारत को वैश्विक पहचान दिलाने में भी मदद करेगा।