अकबरपुर चौगावां की मिसाल — बिरयानी नहीं, अब मैयत में काली दाल की खिचड़ी!

अकबरपुर चौगावां की मिसाल — बिरयानी नहीं, अब मैयत में काली दाल की खिचड़ी!
भारतीय किसान यूनियन सेवा की ग्राम कमेटी ने दिखाई नई राह — साबित किया कि अगर नियत साफ़ हो, तो बदलाव थाली से भी शुरू हो सकता है!
अकबरपुर चौगावां (बिजनौर):
कहते हैं कि “बदलाव पेट से शुरू होता है” — और अकबरपुर चौगावां ने इसे सच कर दिखाया!
25 अक्टूबर 2025 को जनाब इरशाद साहब के इंतकाल पर जहां पूरा गांव ग़म में डूबा था, वहीं भारतीय किसान यूनियन सेवा की ग्राम कमेटी ने ऐसा फैसला किया जिसने सबका ध्यान खींच लिया।
गांव के लोगों ने तय किया — अब मैयत में बिरयानी नहीं बनेगी!
और हुआ भी ऐसा — थालियों में इस बार काली दाल की खिचड़ी परोसी गई।
ना सलाद, ना रायता — बस सादगी, बरकत और नेक नीयत का जायका!
कमेटी का कहना है:
“समाज में सुधार का पहला कौर थाली से ही लिया जाता है। अगर बिरयानी छोड़नी पड़ी, तो कोई बात नहीं — नीयत सच्ची होनी चाहिए।”
यानी अकबरपुर चौगावां ने दिखा दिया कि ‘थाली बदलो, तो सोच बदलेगी।’
राष्ट्रीय सचिव मोनीष अहमद, पूर्व प्रधान निजामुद्दीन, मोहम्मद ताहिर, इसराइल अहमद, मोहम्मद अकबर, मोहम्मद फैयाज, मोहम्मद दानिश, नसीम अहमद, समीर मलिक, फुरकान अहमद, मोहम्मद आरिफ, मोहम्मद नासिर, मोबीन अहमद, शमी अहमद, फतेह अली, फरमान अहमद, रईस अहमद, मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद तालिब, महबूब अहमद, मुस्तकीम अहमद आदि ने इस पहल को सफल बनाया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अकरम उस्मानी का बयान:
> “अकबरपुर चौगावां की कमेटी ने काबिल-ए-तारीफ काम किया है।
अगर हर गांव बिरयानी की जगह खिचड़ी पकाएगा, तो समाज में अमन भी पकेगा।”
“खिचड़ी में भी एकता का स्वाद है” — अकबरपुर चौगावां ने दिखाया कि बदलाव बिरयानी छोड़ने से नहीं, सोच बदलने से आता है!
आईरा न्यूज़ नेटवर्क | विशेष संवाददाता रिपोर्ट | अकरम उस्मानी – अकबरपुर चौगावां





