AIRA NEWS NETWORK – यह एक आदर्श जैविक खाद है।वर्तमान समय में जैविक खेती का प्रचलन बढ़ा है। रासायनिक खाद जैव चक्र के लिये हानिकारक हैं। रासायनिक खाद मृदा की दीर्घकालिक गुणवत्ता को प्रभावित करता है व स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक है।रासायनिक खाद मृदा में पाये जाने वाले लाभदायक कृषि मित्र व पर्यावरण हितैषी सूक्ष्मजीव को मार देते हैं।मनुष्य के भोजन चक्र में रासायनिक तत्व प्रवेश कर अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं।
ऐसे में एजोला का महत्व बढ़ जाता है:
एजोला को उथले या कम गहरे जलाशय में उगाया जाता है।इसकी खेती अलग क्यारीनुमा संरचना बनाकर भी की जा सकती है ।यह जलीय पौधा है।जो स्वतंत्र रूप से जल में तैरता रहता है।धान की खेती भी इसके लिये उपयुक्त होती है।धान की खेत में यह काफी तेजी से बढ़ता है।यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करता है।मृदा की गुणवत्ता में वृद्धि करता है।लाभदायक कृषि मित्र सूक्ष्मजीव का संवर्धन करता है।वैसे अगर कोई रिक्त जगह उपलब्ध है तो ईंट की दीवार सहित क्यारी बनाकर इसकी खेती की जा सकती है।सर्वप्रथम इसका कल्चर तैयार किया जाता है।
सामान्यतया क्यारी बनाने के लिये सर्वप्रथम मिट्टी की सभी खरपतवार हटा देते हैं।500 लीटर तक पानी आ जाये इस तरह से क्यारी तैयार करते है।गहराई 15-20 सेमी. तक होनी चाहिए । इस क्यारी में गोबर व उपजाऊ मिट्टी को अच्छी तरह मिला दें।लगभग 2-2.5 किग्रा एजोला इस पर अच्छी तरह पानी का छिड़काव करते हुये फैला दें।आप एजोला की पौष्टिकता बढ़ाने के लिये सूक्ष्म पोषक तत्व भी क्यारी में मिला सकते हैं।क्यारी के चारों ओर ईंट का बेस बना सकते हैं।समय-समय पर (लगभग 5-6 माह में) आप क्यारी का पानी बदल सकते हैं।क्यारी के पानी को सब्जी की खेती में प्रयोग कर सकते हैं।
नये कल्चर से पुन: एजोला को तैयार कर सकते हैं।एजोला बड़ी तेजी से फैलता है।यह सप्ताह भर में ही दुगुने अनुपात में फैल जाता है।एजोला बहुद्देशीय फर्न होता है।इसे ” ग्रीन गोल्ड ” भी कहा जाता है।इसका उपयोग सीधे जैविक खाद के रूप में किया जा सकता है।एजोला के पत्तियों में एनाबीना जैसे सहजीवी शैवाल पाये जाते हैं जो सूर्य की रोशनी ग्रहण कर प्रकाश संश्लेषण करते हैं व एजोला के संवर्धन में सहयोग करते हैं।
ये वायुमंडल से नाइट्रोजन को सोख कर नाइट्रेट के रूप में मृदा में नत्रजन की कमी को पूरा करता है।सीधे ही इसको पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ।प्रोटीन के दृष्टिगत यह उत्तम पशुआहार है।एजोला को मुर्गीपालन करने वाले लोग भी तैयार कर सकते है।मुर्गी के लिये यह बहुत ही गुणकारी खाद्य पदार्थ है।
एजोला में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, व विटामिन होते है।गाय, भैंस, बकरी, भेड़ व कुक्कुट के लिये यह उत्तम चारा है।
पशुओं के लिए यह औषधि का कार्य करता है। इसे मॉस्क्यूटो फर्न भी कहते हैं।यह लारवारोधी का कार्य करता है ।इसे जलीय सजावटी पौधे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
मच्छररोधी क्रीम व बायोस्कैवेंजर के रूप में भी इसका प्रयोग करते हैं।सीसा जैसे हानिकारक धातुओं को हटाने की क्षमता एजोला में होती है।प्रदूषणरहित उच्च उत्पादकता व आसानी से उपलब्ध हो जाने वाली जैविक खाद व पशुओं के च्यवनप्राश के रूप में एजोला का उपयोग बहुत ही लाभदायक सिध्द हो सकता है।
Ati uttam sir
बहुत अच्छी जानकारी
जलीय फर्न.. बहुत ही उपयोगी
उपयोग जानकारी व लाभदायक खाद
सर् प्रणाम, आपको कृषि विभाग भी मिल गया क्या.आप हर विषय की अच्छी अनुभवी जानकारी देते हैं
सर्, समुद्री देशों में इसके पकौड़े व चटनी भी बनाकर खाते हैं
आप जिस विषय में लिखते हैं, वहां तक कोई सोच ही न पाता यानी उपयोगी व लाभदायक बिन्दु का चयन करते हैं सर्.. बहुत बहुत धन्यवाद सर्
🙏🙏😍
Very useful for cattle.
खेती की बारीकी की बात.. सर् व आईरा न्यूज के साथ
Nice information
Good