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पूर्व मंत्री व सांसद राजमणि पटेल का राहुल को लेटर बम


पूर्व मंत्री व सांसद राजमणि पटेल का राहुल को लेटर बम

  • टिकट बंटवारे में ओबीसी व अन्य पिछड़ी जातियों को नजरंदाज करने का आरोप
    रीवा से रितेश सिन्हा की खास रिपोर्ट।
    कांग्रेस में मध्यप्रदेश के टिकटों की घोषणा के दौरान दवाब की राजनीति के साथ दिग्विजय सिंह का फर्जी लेटर बम आने के बाद प्रदेश में ओबीसी का बड़ा चेहरा बने राजमणि पटेल ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर प्रदेश में हुए टिकटों की बंदरबांट की पोल खोलते हुए अवगत कराया है। पत्र से जाहिर होता है कि भंवर जितेंद्र सिंह और रणदीप सुरजेवाला जैसे जॉनी-टॉनी नेता फेल हो चुके हैं। प्रदेश में भाजपा के खिलाफ जनआक्रोश से बन रही कांग्रेस की जीती हुई बाजी को खड़गे के इन सिपाहसलारों ने पीछे कर दिया है।
    अपने पत्र में उन्होंने जिलेवार टिकट वितरण में हुई घपलेबाजी का पर्दाफाश किया है। खड़गे-कमलनाथ और दिग्विजय की तिकड़ी के साथ स्क्रिनिंग कमिटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह पर राजपूतों को टिकट देने के नाम पर केंद्रीय नेतृत्व से धोखा बताया है। राहुल को लिखे अपने पत्र में उन्होंने इशारों-इशारों में खड़गे के नेतृत्व पर अंगुली उठाने के साथ-साथ भंवर जितेंद्र, प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला और सीपी मित्तल पर भी निशाना साधा है।
    देखा जाए तो राजपूतों के 4 प्रतिशत की आबादी के अनुपात में उनको 34 टिकट पकड़ाए गए हैं। वहीं 50 प्रतिशत से अधिक की आबादी वाले ओबीसी समुदाय को 58 सीटों पर समेट कर रख दिया है। ब्राह्मणों की 8 प्रतिशत के आबादी को 31 सीटें दी गई हैं। 1 प्रतिशत से कम आधार वाले जैन समुदाय को 6 सीटों से नवाजा गया है। अन्य 4 प्रतिशत को 18, वहीं ओबीसी के प्रभाव वाले क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को टिकट बांटने के जिम्मेदार नेताओं ने कांग्रेस ने खुद को फंसा दिया है।
    विदेशों में पढ़कर लौटे और पारिवारिक रसूख के कारण राजनीति के शिखर पर पहुंच कर बड़े-बड़े पदों को हथियाने में कामयाब ये जॉनी-टॉनी भंवर जितेंद्र सिंह और रणदीप सुरजेवाला जातीय समीकरण और जमीनी राजनीति से अब तक अंजान हैं।मुस्लिम अल्पसंख्यकों की 6 प्रतिशत की आबादी जिसका बड़ा हिस्सा बुरहानपुर, जबलपुर, कटनी, इंदौर, बैतूल, छतरपुर सहित पूरे प्रदेश में हैं, इसको नजरंदाज कर 2 सीटों पर समेटकर अपनी मंशा जाहिर कर दी। राष्ट्रीय राजनीति में हीरो बने हुए ये दोनों नेता अपने-अपने प्रदेशों में जीरो साबित हुए हैं।
    प्रदेश के प्रभारी और टिकट बांटने पहुंचे इन नेताओं में मध्य प्रदेश में अच्छा और बड़ी पकड़ रखने वाली कहार, बारी, पाल, बघेल, मल्हार, कोरी जैसी जातियों के प्रतिनिधियों को एक-एक टिकट के टिकट दावे से भी नकार दिया है। वर्तमान में देश जातीय जनगणना के बाद से सत्ता और विपक्ष ओबीसी की राजनीति कर रहा है। ऐसे में इन पिछड़ी जातियों को नजरंदाज करना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। खुद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ओबीसी को लेकर आक्रामक रूप अपनाए हुए हैं। आपको बता दें कि निजी बातचीत में राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल ने बताया कि प्रभारी जय प्रकाश अग्रवाल को हटाने के बाद से मध्य प्रदेश का सियासी गणित बिगड़ गया।
    मध्य प्रदेश में पिछड़ों की राजनीति की नब्ज पहचानने में भंवर जितेंद्र सिंह, रणदीप सुरजेवाला जैसे जॉनी-टॉनी टाइप नेताओं ने कांग्रेस की जीती हुई बाजी को टिकट बांटने की पहली लड़ाई में पीछे कर दिया है। भाजपा ने अपने केंद्रीय नेताओं को उतार कर चुनाव को गंभीर बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस के ये जॉनी-टॉनी कमलनाथ और दिग्विजय के साथ टिकटों की बंदरबांट में अपना कारोबार कर चुके हैं। टीम राहुल के वफादार के नाम पर इन जॉनी-टॉनी जैसे नौसिखियों ने बतौर प्रभारी और स्क्रिनिंग चेयरमैन के नाते कांग्रेस को चुनाव की जमीनी राजनीति में पटरी से उतार कर रख दिया है। देखना है कि जनता में भाजपा के प्रति उपजे भारी असंतोष और जनआक्रोश को कांग्रेस कैसे अपने पाले में खींच पाती है, इस पर चुनावों के नतीजों के बाद मंथन होगा।
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