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कैमोमाइल या जादुई पुष्प की खेती

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AIRA NEWS NETWORK – कैमोमाइल या बबूने के पुष्प को “जादुई पुष्प” कहा जाता है।इस पुष्प के बहुउद्देशीय लाभ हैं।इसकी खेती बहुत ही लाभदायक है। इसके बुवाई का सही समय अक्टूबर माह है।शीत ऋतु इसकी खेती के लिए अनुकूल है। सर्वप्रथम खेत की जुताई करके पाटा करने से पहले नीम की खाद ,गोबर खाद या केंचुआ खाद मिला देते हैं।01 हेक्टेयर में लगभग 700 ग्राम कैमोमाइल सीड की जरूरत पड़ती है यदि क्यारियां तैयार कर खेत में तैयार पौधों को पंक्तियों में रोपा जाये तो ज्यादा बेहतर होगा।सीधे भी खेत में बीज बोया जा सकता है।

लेकिन इस विधि में बीज अधिक लगता है। खेत में क्यारी या अलग-अलग हिस्से बना कर खेती करना बेहतर है।बुवाई के साथ ही पानी का छिड़काव करना होता है। चूंकि यह सजावटी पौधा भी होता है।अत: इसके बीज ऑनलाइन भी मिल जाते हैं । सजावटी पौधों के दुकान बीज से भी बीज प्राप्त किया जा सकता है।

यह भी पढ़े – बंजर जमीन पर कैमोमाइल वनस्पति की खेती किसानों के लिये वरदान

यह पूर्णतया जैविक खेती है। बुवाई के बाद किसी भी तरह के रासायनिक खाद की जरूरत नहीं होती।प्रत्येक 01 माह के अंतराल पर लगभग 5-6 बार फूलों की चुनाई की जा सकती है।गेहूं के फसल कटने से पहले इसकी फसल समाप्त हो जाती है।01 एकड़ जमीन में तैयार कैमामाइल के फूलों से औसतन 6-7 लीटर ऑयल प्राप्त कर सकते हैं। चूंकि अधिक पुष्पों से कम मात्रा में तेल(0.4 प्रतिशत) निकलता है और इस तेल का औषधीय , सौन्दर्यपरक व बहुउद्देशीय गुण होता है।

इसलिये इसका तेल महंगा होता है।महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके पुष्प में विटामिन सी, जिंक व अन्य लाभदायक तत्व पाये जाते हैं तो इसलिये इसे ग्रीन टी या फूल सूखाकर टी पैकेट बनाकर चाय के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। मधुमेह रोगी के लिये इसका उपयोग रामबाण है।अनेक आयुर्वेदिक कंपनियां कृषकों से सीधे पुष्प खरीद रहे हैं। स्वयं से भी संयत्र स्थापित कर तेल निकाल सकते हैं।डायबिटीज, त्वचा संबंधी विकार, अल्सर व पाचन तंत्र संबंधी विकार ,अनिद्रा, घाव भरने में, बालों के सुन्दरता के लिये, पानी में कुछ बूंदे डालकर नहाने से त्वचा संबंधी विकार व झुर्रियों के मिटाने के लिये इसका तेल महत्वपूर्ण है।शैम्पू, साबुन, तेल, दवा, अन्य सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री निर्माण में भी इसका तेल बहुत ही उपयोगी है।

“धर्मजीत मानव”

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