विवाह पंजीकरण ना कराने, दहेज़ प्रताड़ना और तीन तलाक के मामले मे मुकदमा दर्ज
काशीपुर/जसपुर (रिज़वान अहसन ),,,,यूसीसी का उल्लघन कर शांदी पंजीकृत न कराने व शादी के बाद लगातार पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने, पत्नी से पीछा छुड़ाने के उद्देश्य से पत्नी को मानसिक रुप से प्रताड़ित व मारपीट कर भ्रूण हत्या कारित करने, फोन पर तीन तलाक जैसे जघन्य अपराध कारित करने के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बीती 27 अप्रैल को पीड़िता द्वारा तहरीर देकर कोतवाली जसपुर में मुकदमा धारा 85/89/115/351(2)/352 बीएनएस व मुस्लिम महिला अधिनियम (तीन तलाक अधिनियम) व दहेज अधिनियम बनाम मो. नावेद आदि पंजीकृत कर आरोप लगाये गये थे कि शादी के बाद से ही पति नावेद व ससुराल वाले दहेज में आल्टो कार, एसी व नगद पांच लाख रुपये न लाने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित कर गाली गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी देकर मारपीट करने लगे। पीड़िता के प्रेग्नेन्ट होने के पश्चात पति नावेद पुत्र इलियास निवासी पप्पू कालौनी जसपुर ने पीछा छुडाने के उद्देश्य से पीड़िता को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर मारपीट करते हुए ऐसी परिस्थिति पैदा की जिससे पीड़िता का मिस कैरज हो गया। भ्रूण हत्या कारित करने के पश्चात पति नावेद पीड़िता को उसके मायके यह कहकर छोड़ आया कि आज के बाद मेरा इससे कोई वास्ता नहीं। मायके छोड़ने के पश्चात पति नावेद द्वारा पीड़िता को फोन कर फोन पर तीन तलाक देते हुए कहा कि अब तू मेरी पत्नी नहीं, अब मेरा तुझसे कोई वास्ता/मतलब नहीं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद ऊधमसिंहनगर मणिकान्त मिश्रा द्वारा घटना का संज्ञान लेकर त्वरित जांच करते हुए पीड़िता को न्याय दिलाने हेतु अधीनस्थों को आदेशित किया गया। जिसके पश्चात पुलिस अधीक्षक काशीपुर अभय सिंह व क्षेत्राधिकारी काशीपुर दीपक कुमार के निर्देशन में कोतवाली जसपुर के प्रभारी निरीक्षक जगदीश सिंह ढकरियाल एवं महिला उपनिरीक्षक रुचिका चौहान द्वारा जांच करते हुए आज पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के मुताबिक पीड़िता के ससुराल पक्ष के अन्य लोगों के विरुद्ध विवेचना प्रचलित है, बाद जांच अन्य लोगों के विरुद्ध अपराध अनुसार कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। अभियुक्त को माननीय न्यायालय पेश किया जा रहा है। जांच के दौरान पाया गया कि वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में यूसीसी लागू किया गया है, जिसके तहत 2010 के बाद हुई शादी का रजिस्ट्रेशन कराया जाना अनिवार्य है। परन्तु मो. नावेद द्वारा पीड़िता से पीछा छुडाने के उद्देश्य से यूसीसी के नियम का उल्लंघन कर शादी का पंजीकरण नहीं कराया गया था।