विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज यहां डॉ. मंगलसेन ऑडिटोरियम में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से माइक्रो ऑब्जर्वर्स के लिये ट्रेनिंग आयोजित की गई।
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज यहां डॉ. मंगलसेन ऑडिटोरियम में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से माइक्रो ऑब्जर्वर्स के लिये ट्रेनिंग आयोजित की गई।
करनाल, 24 सितंबर। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज यहां डॉ. मंगलसेन ऑडिटोरियम में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से माइक्रो ऑब्जर्वर्स के लिये ट्रेनिंग आयोजित की गई। इसमें ट्रेनिंग के नोडल अधिकारी एवं जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव कुमार ने कहा कि माइक्रो ऑब्जर्वर का कार्य मतदान के दिन पीठासीन अधिकारी, वैकल्पिक पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी आदि के कार्य को ऑब्जर्व करना तथा इस बारे में पर्यवेक्षक को रिपोर्ट करना है। उन्होंने कहा कि यदि किसी परिसर में एक से ज्यादा पोलिंग बूथ हैं तो सभी के बारे में निर्धारित फार्म पर अलग-अलग रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। पीठासीन अधिकारी को किसी प्रकार का निर्देश देना उनकी जिम्मेदारी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि माइक्रो ऑब्जर्वर्स को पांच अक्तूबर को मतदान समाप्ति के बाद पर्यवेक्षक को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। उन्हें यह देखना होगा कि मतदान केंद्र पर रैंप, पेयजल, फर्नीचर, बिजली, शौचालय आदि की समुचित व्यवस्था है या नहीं। मॉक पोल प्रक्रिया उनकी (माइक्रो ऑब्जर्वर) मौजूदगी में पूरी की गई है या नहीं तथा प्रक्रिया के बाद कंट्रोल यूनिट से क्या डाटा क्लीयर किया गया है, वीवीपैट की पर्चियों को क्या काले रंग के लिफाफे में सील किया गया है, मॉक पोल के बाद मतदान शुरू होने से पहले क्या ईवीएम शून्य पर सेट की गई है? इतना ही नहीं माइक्रो ऑब्जर्वर को यह भी देखना होगा कि मतदान के दौरान किसी राजनैतिक पार्टी के कितने पोलिंग एजेंट मौजूद रहे, पोलिंग स्टेशन में किसी भी समय क्या उस राजनैतिक पार्टी का एक से अधिक एजेंट मौजूद रहा, क्या बीयू, सीयू और ग्रीन पेपर सील का सीरियल नंबर पोलिंग एजेंट का नोट कराया गया, वोटिंग कम्पार्टमेंट को क्या इस तरह से बनाया गया है कि मतदान की गोपनीयता बरकरार रहे ?
नोडल अधिकारी ने कहा कि माइक्रो ऑब्जर्वर की यह भी देखना होगा कि पोलिंग एजेंट के लिये क्या प्रवेश पास व्यवस्था ठीक से लागू की गई है, मतदान के दौरान किसी अनाधिकृत व्यक्ति ने मतदान केंद्र में प्रवेश तो नहीं किया, मतदाताओं की अंगुली पर स्याही ठीक से लगाई जा रही है या नहीं, मतदाताओं द्वारा पहचान के लिये प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों का फार्म 17 ए में ठीक से इंद्राज किया गया है या नहीं?
उन्होंने बताया कि पीठीसन अधिकारियों व पोलिंग एजेंट्स को पोस्टल बैलेट वाले मतदाताओं की सूचना उपलब्ध कराई गई है या नहीं, जिस व्यक्ति को पोस्टल बैलेट जारी किया गया है वह दोबार वोट डालने के लिये पहुंचा है क्या, ईडीसी के आधार पर किसी व्यक्ति ने वोट डाली है या नहीं, इन सब की जानकारी माइक्रो ऑब्जर्वर के पास होनी चाहिये। पीठीसीन तथा पोलिंग अधिकारी बिना किसी उचित कारण के क्या वोटिंग कम्पार्टमेंट की तरफ गये, क्या उन्होंने मतदाताओं को कोई अनुचित निर्देश दिये, आयोग के निर्देशानुसार क्या पीठासीन अधिकारी नेे अनुपस्थित, शिफ्टिड और मृत वोटर्स की सूची से छानबीन की, क्या निर्देशों अनुसार वोटिंग मशीन को ठीक से सील किया गया, पोलिंग एजेंट, चुनावी एजेंट या अन्य किसी राजनैतिक पार्टी से कोई शिकायत प्राप्त हुई अथवा किसी भी प्रकार की अन्य घटना की जानकारी भी माइक्रो पर्यवेक्षक को देनी होगी।
इस मौके पर भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक, नोडल अधिकारी(माइक्रो ऑब्जर्वर) सुशील हंडुजा भी मौजूद रहे। मास्टर ट्रेनर अमरदीप ने माइक्रो ऑब्जर्वर को इस अवसर पर बीयू, सीयू तथा वीवीपैट के बारे में भी बुनियादी जानकारी भी दी गई।