पुराने दर्द लिखूं या ताजे जख्म लिखूं-?? खामोश है लब! चुप है कलम!अब तुम्हीं कहो कैसे हाले ए दिल लिखूं-??
हेमंत वर्मा-प्रदेश अध्यक्ष आईरा-(छत्तीसगढ़) -पुराने दर्द लिखूं या ताजे जख्म लिखूं !——-??
खामोश है लब! चुप है कलम!
अब तुम्हीं कहो कैसे हाले ए दिल लिखूं——??
लोकतंत्र का चौथा पाया चरमरा गया है! लगातार हत्या! घातक हमला! कर कलम को थर्राने की कोशिश जारी है! वर्तमान में कलमकार के लिए हकीकत का एक एक लफ्ज़ लिखना भारी पड़ रहा है।गुन्डा, मवाली ,नेता ,चोर भ्रष्टाचारियों के साथ ही साथ हाथ धोकर पीछे पड़ी मशीनरी सरकारी है! गजब का माहौल बन गया! जिसने काबिल बनकर सच लिखने की कोशिश की उनके जीवन का खुशनुमा पल अनर्गल आरोप का शिकार होकर जेल में खेल करने को मजबूर हो जाता है! उदाहरण है बिहारी पत्रकार जिसकी कलम की धार से हिलती थी सरकार! उस मनीष कश्यप को सच लिखने की सजा सरेआम मिल रही है! और चाटुकार मीडिया उसको हलाल होते देखकर मुस्करा रही है!गजब भाई सारे सियासत के भ्रष्टाचारी खुलेयाम काट रहे है मलाई! वही एक मनीष कश्यप गरीबों की भलाई में कसीदे क्या पढ़ दिया सारे पत्रकारों की, की जा रही है जग हंसाई! सरकार बिहार की हो या तमिलनाडु की भ्रष्टाचारी हर जगह हाबी है!सच लिखा! गरीबों की पीड़ा लिखना !हकीकत को सरेआम खुलेआम कर दिया तो देश द्रोही हो गया ! समाज के लिए खतरा! सरकार के लिए विद्रोही हो गया!? मनीष कश्यप तो केवल बानगी है भाई! न जाने कितने पत्रकार सच लिखने की सजा भुगत रहे हैं! कुछ सिसक रहे हैं! कुछ जग से नाता तोड चुके हैं। कितनों का घर वीरान हो गया!सच का मसीहा सच के लिए कुर्बान हो गया?– हकीकत की सतह पर हर जगह पत्रकार अब प्रताड़ित हो रहा है!इसमें सबसे बड़ी भागीदारी उस पत्रकार समाज की है जो लोकतन्त्र का कथित उपासक बनकर आज तक सियासत के साम्राज्य में चांदी काट रहा था! वहीं लिखता था जो शासक दल चाहता था! चाटुकारों की एक विशेष प्रजाति के कलमकार आजकल परेशान हैं कारण बना हुआ आधुनिक जमाने का उभरता सोशल साईट का जागरूक पत्रकार जो छोटी से छोटी घटना चाहे दिल्ली की हो पटना की पलक झपकते ही वायरल कर दे रहा है! यही उस मीडिया के लोगों को खल रहा है! जो नमक मिर्च लगाकर की टीआर पी बढ़ाने के चक्कर में शक्कर में नमक डालकर दिखाते थे। आज उनकी पोल सोशल मीडिया पर मिनटों में खोल रहा है।सरकार भी उनको ही अपना भाग्य विधाता मानती है।सारी सुबिधा उनकी ही झोली में डालती है फूट डालो राज करो का फार्मूला लागू है!/आजकल सोशल मीडिया का पूरी तरह दुनिया में चल रहा जादू है।कल शाम मिर्जापुर मे सोशल मीडिया के पत्रकारों पर कातिलाना हमला हुआ! बेचारे रातभर तड़पते रहे पुलिस महकमा रात भर खर्राटे भरता रहा! तकलीफ उनको भी थी जो सच उजागर कर रहे थे। सावधान देश के संविधान में कहीं नहीं वर्णित किया गया है चौथा स्तम्भ का अधिकार। इसी का भरपूर फायदा उठा रही है सरकार! मुगालते में न रहे ! जब तक संगठित होकर एक मंच पर नहीं आयेंगे सारे पत्रकार तब तक हमेशा होता रहेगा अत्याचार! दुर्भाग्य है कलम के बहादुर सिपाहियों का उनका कोई नहीं होता ।वफादार जरूरत भर उपयोग करके कर दिया जाता है दर किनार! बड़ा छोटा का विभेद पैदा कर खूब मजे लूट रहा है आज का सियासतदार! जरूरत है संभल कर हर कदम उठाने की सच लिखा सच दिखाया सच बढ़ाया तो खतरा है! सावधानी से सच की ईबारत बिना हसरत पाले अगर दिखाने की फितरत आप में मौजूद हैं तो निश्चित रूप से आप में पूजा है।’अगर आप पत्रकारिता को धन उगाही का साधन बनाएंगे ! तिजारत करेंगे तो समाज में हिकारत का अनुभागी बनना ही बनना है। पत्रकार समाज पर सरकारी फरमान जारी हो चुका है! हर तरफ से पर कतरने की तैयारी है! संगठित होइए अपने अधिकार को सरकार से मांगिए वर्ना आने वाला कल का दौर और भी बुरा दिख रहा है।
जयहिंद🙏🏿🙏🏿