डालमिया भारत फाउंडेशन ने हाफलोंग, असम में छात्रों के लिये पढ़ाई का सफर किया आसान
डालमिया भारत फाउंडेशन ने हाफलोंग, असम में छात्रों के लिये पढ़ाई का सफर किया आसान, स्कूल बस दान की
उमरांगसो, 8 नवंबर, 2024: डालमिया सीमेंट (भारत) लि. (डीसीबीएल) की सीएसआर शाखा डालमिया भारत फाउंडेशन (डीबीएफ) ने हाफलोंग, असम के सरस्वती विद्या मंदिर को एक स्कूल बस सौंपी है। फाउंडेशन द्वारा सरस्वती विद्या मंदिर को यह बस दान करने का उद्देश्य हाफलोंग क्षेत्र के छात्रों को सुरक्षित और सुलभ परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना है। इस क्षेत्र के 11 गांवों के 250 छात्र यहां पढ़ते हैं, जिनमें से 100 छात्र स्कूल के हॉस्टल में रहते हैं। सीमित सार्वजनिक परिवहन विकल्पों के कारण कई छात्र स्कूल पहुँचने में कठिनाई महसूस करते थे। इस नई बस से 80 से 100 छात्रों को सीधे लाभ मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा तक पहुँच आसान और सुरक्षित होगी, साथ ही उनकी स्कूल में उपस्थिति और शैक्षणिक अनुभव में भी सुधार होगा।
डीसीबीएल के नॉर्थ ईस्ट रीजनल मैन्युफैक्चरिंग हेड श्री पदमानव चक्रवर्ती ने इस पहल के बारे में बताते हुए कहा कि डालमिया भारत में हमारा विश्वास है कि बच्चों को सशक्त बनाने और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा तक आसानी से पहुंचना बहुत जरूरी है। इस स्कूल बस के माध्यम से हम छात्रों के लिए स्कूल तक का सफर आसान बनाना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे सुरक्षित और भरोसे के साथ अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। यह पहल हमारी इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि हम ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और अपने समुदायों के लिए दीर्घकालिक और सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस आयोजन में कई प्रतिष्ठित पदाधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मुख्य अतिथि के रूप में सहायक जिलाधीश श्रीमती संगीता देवी उपस्थित थीं। उनके साथ डीसीबीएल के प्रोजेक्ट्स के कार्यकारी निदेशक श्री रामावतार शर्मा, नॉर्थ ईस्ट के रीजनल मैन्युफैक्चरिंग हेड श्री पदमानव चक्रवर्ती, एनसीएचएसी के एमएसी श्री धृति थाओसेन, एसएमसी की सचिव श्रीमती नितालिनी थाओसेन और एनई सरस्वती विद्या मंदिर परिषद के समन्वयक श्री राहुल पारिख भी इस मौके पर मौजूद थे।
डालमिया भारत फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में योगदान के माध्यम से सामुदायिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका उद्देश्य आत्मनिर्भर और सशक्त समुदायों का निर्माण करना है, जिसमें पर्यावरण का भी खास ध्यान रखा जाता है।