ग्राम सचिवों की कमी से विकास योजनाओं पर संकट,बुढ़नपुर स्योहारा में मुख्यमंत्री की नीतियों,प्राथमिकताओं को लग रहा पलीता
ग्राम सचिवों की कमी से विकास योजनाओं पर संकट, बुढ़नपुर स्योहारा में मुख्यमंत्री की नीतियों,प्राथमिकताओं को लग रहा पलीता
बिजनौर (संवाददाता):
उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है कि शासन की सभी जनकल्याणकारी योजनाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुँचें और समाज के प्रत्येक वर्ग को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में विकास की गति को तेज करने के उद्देश्य से कई योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन जिला बिजनौर के विकास खंड बुढ़नपुर स्योहारा में यह प्रयास जमीनी हकीकत से जूझता नज़र आ रहा है।
सूत्रों की माने तो इस विकास खंड में कार्यरत ग्राम पंचायत सचिवों पर एक दर्जन भर पंचायतों का अतिरिक्त भार डाल दिया गया है। कुछ सचिवों के पास तो 6,8,9,11 से 12 पंचायतों की जिम्मेदारी है। इसके चलते वे न तो नियमित रूप से किसी एक गांव में उपस्थित हो पाते हैं और न ही सरकार की योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन सुनिश्चित कर पाते हैं।
जमीनी हकीकत और योजनाओं का टकराव
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब कोई समस्या होती है, तो सचिव से संपर्क करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि वह कभी किसी एक पंचायत में होता है, तो कभी दूसरी में। “हम शिकायत करें भी तो किससे करें? सचिव साहब तो महीने में एक बार ही दिखाई देते हैं,”
“मनरेगा के तहत मजदूरों को भुगतान में देरी हो रही है, शौचालयों का सत्यापन, प्रधानमंत्री आवास योजना की फाइलें लंबित पड़ी हैं। सचिव की अनुपलब्धता के कारण हमें बार-बार विकास खंड कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं।”
प्रशासनिक उदासीनता या संसाधनों की कमी?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सचिवों की भारी कमी है और नई नियुक्तियां लंबे समय से रुकी पड़ी हैं। “हमारी तरफ से प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन शासन स्तर पर अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। जब तक सचिवों की संख्या नहीं बढ़ती, यह समस्या बनी रहेगी,” उन्होंने कहा।
प्रभावित योजनाएं:
मनरेगा (MGNREGA): कार्यों का समय पर सत्यापन नहीं हो पा रहा
प्रधानमंत्री आवास योजना: आवेदनों की जांच लंबित
स्वच्छ भारत मिशन: शौचालय निर्माण की रिपोर्टिंग अधूरी
वृद्धावस्था/विधवा/दिव्यांग पेंशन: पात्रों का सत्यापन धीमा
नल से जल योजना: प्रगति धीमी, शिकायतें बढ़ी
जनता की मांग और निष्कर्ष
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए एक-एक सचिव की नियुक्ति नहीं की गई, तो ग्रामीण विकास के लक्ष्य एक सपना बन कर रह जाएंगे। जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि वह इस गंभीर समस्या पर संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप एक प्रभावी समाधान निकाले।