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गौशाला में गायें भूख से तड़प रही,रिकॉर्ड में हर महीने हज़ारों का चारा-राज्य गौ सेवा आयोग और मानवाधिकार आयोग से की जाँच कर दोषियों पर कार्यवाही की माँग !!

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गौशाला में गायें भूख से तड़प रही,रिकॉर्ड में हर महीने हज़ारों का चारा-राज्य गौ सेवा आयोग और मानवाधिकार आयोग से की जाँच कर दोषियों पर कार्यवाही की माँग !!
✍ संवाददाता – वसीम अहमद | AIRA News Network| धामपुर/बिजनौर
खबर वही जो हो सही

यह रिपोर्ट सिर्फ मवेशियों की पीड़ा नहीं,बल्कि भ्रष्टाचार की उस परत को उजागर करती है जिसे “गौ सेवा” कहकर छुपाया जाता है।
गौशाला बनी मौत का कुंआ – गंदगी, मच्छर, अंधेरा
कागज़ों में हज़ारों का चारा – ज़मीनी हकीकत में शून्य

बिजनौर जनपद के ब्लॉक अल्हैपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत ज्योतिमा उर्फ मुकरपुरी की गौशाला में बड़ा अमानवीय व ह्रदय विदारक घोटाला सामने आया है। जहाँ 242 बेसहारा गायों की दुर्दशा ने न केवल क्षेत्रवासियों को विचलित किया है, बल्कि पंचायत प्रशासन पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

AIRA News Network की विशेष टीम ने 30 जून 2025 को मौके पर पहुँचकर स्थिति का वीडियो कवरेज कर मौजूदा कर्मचारियों से बात चीत की । मौके पर न तो पर्याप्त चारा,मिला और न दवाई, न साफ-सफाई, और न ही बिजली–रोशनी की कोई व्यवस्था दिखी।
कागज़ों में हज़ारों का चारा – ज़मीनी हकीकत में शून्य


सरकारी मानकों के अनुसार, 242 गायों के लिए रोज़ाना 6 टन हरा चारा और 1.2 टन सूखा चारा अनिवार्य है। पंचायत रिकॉर्ड में हर माह इसके लिए हज़ारों रुपये का खर्च दर्शाया गया है।
लेकिन मौके पर मौजूद कर्मचारियों – महेन्द्र सिंह और देवेंद्र कुमार – ने बताया कि,

“30 जून को तो एक किलो चारा भी नहीं आया। कई-कई दिन गायें भूखी रह जाती हैं।” सूखा चारा ही डालना पड़ना है

गौशाला बनी मौत का कुंआ – गंदगी, मच्छर, अंधेरा

गौशाला में गंदगी का आलम यह है कि वहाँ मच्छरों, कीड़ों और दुर्गंध की भरमार है। नियमित दवाई का छिड़काव तक नहीं होता। रात को कोई प्रकाश व्यवस्था नहीं है, जिससे जानवरों की सुरक्षा भी खतरे में रहती है।

कर्मचारियों ने बताया कि वे 24 घंटे की ड्यूटी में हैं, लेकिन केवल ₹10,000 मानदेय में जीवन यापन करना पड़ता है वो भी टाइम पर नही मिलता है
❖ बार–बार ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव से शिकायतें की, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है न ही अब तक कोई ठोस कदम उठाया गया। इससे इस बात का भी अंदेशा है कि घोटाले में स्थानीय प्रशासन व उच्च अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।


❖ AIRA International Reporters Association के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ. मोहम्मद तारिक ज़की ने इस पूरे मामले को लेकर राज्य गौ सेवा आयोग एवं राज्य मानवाधिकार आयोग, लखनऊ को एक विस्तृत शिकायती पत्र भेजा है।
पत्र में प्रमुख मांगे इस प्रकार है कि
गौशाला का स्वतंत्र और निष्पक्ष निरीक्षण कराया जाए
2023 से 2025 तक के चारा खर्च का लेखा–जोखा और ऑडिट किया जाए
कर्मचारियों को मानक वेतन, स्वास्थ्य सुविधा एवं सुरक्षा प्रदान दी जाए
दोषी ग्राम प्रधान, ग्राम विकास अधिकारी समेत अन्य जिम्मेदारों पर विभागीय और कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
डॉ. ज़की ने कहा:

“गौ माता सिर्फ फाइलों में सुरक्षित हैं, हकीकत में वे उपेक्षित और भूख से तड़प रही हैं। यह सिर्फ एक पंचायत नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की कई गौशालाओं की दुर्दशा का संकेत है।”

यह रिपोर्ट सिर्फ मवेशियों की पीड़ा नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की उस परत को उजागर करती है जिसे “गौ सेवा” कहकर छुपाया जाता है।

📍 AIRA News Network – सच्चाई के साथ
सवांदाता: वसीम अहमद,की खास रिपोर्ट-धामपुर/बिजनौर

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