करनाल-हरियाणा

अपंजीकृत संस्थाओं द्वारा अनाथ, यतीम व जरूरतमंद बच्चों को रखना गैरकानूनी : एडीसी

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अपंजीकृत संस्थाओं द्वारा अनाथ, यतीम व जरूरतमंद बच्चों को रखना गैरकानूनी : एडीसी

अगर कहीं जानकारी मिलती है तो इसकी सूचना प्रशासन को दें, होगी कार्रवाई

सूचना देने वाले का नाम रखा जाएगा गुप्त।

करनाल, 26 नवम्बर। अतिरिक्त उपायुक्त यश जालुका ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशों की अनुपालना दृढ़ता से की जा रही है। अपंजीकृत संस्थाओं के लिए अनाथ, यतीम व जरूरतमंद बच्चों को रखना गैरकानूनी है तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 की उल्लंघना है। अगर कोई अपंजीकृत सामाजिक संस्था अनाथ व यतीम बच्चों को रख रही है तो इसकी सूचना तुरंत प्रशासन को दें। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। उन्होंने आम जनता से अपील की कि बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखने में प्रशासन को अपना भरपूर सहयोग दें। ऐसा करके हम नादान मासूम बच्चों के साथ हो रहे अन्याय और दुर्व्यवहार को रोक सकते हैं।

अतिरिक्त उपायुक्त राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य दिव्या गुप्ता की ओर से मंगलवार को वीसी के माध्यम से दिए गए निर्देशों की अनुपालना में बोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने करनाल जिला की जनता को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दीं। इसके अलावा उन्होंने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकवादी घटना के दौरान राष्ट्र की सेवा करने वाले पुलिस जवानों तथा आम नागरिकों द्वारा दी गई शहादत को भी नमन किया।

उन्होंने बताया कि करनाल जिले में यदि कोई ऐसा यतीमखाना अथवा संस्था जोकि किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत बिना पंजीकरण के चल रही है तो किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 42 के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी, बिना पंजीकरण के चल रही संस्था की सूचना प्रशासन को दे सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जिला में पांच पंजीकृत संस्थाएं कार्यरत हैं। इनमें प्लेस ऑफ सेफ्टी 01 मधुबन(ब्वॉयज), प्लेस ऑफ सेफ्टी 02 मधुबन (ब्वॉयज), निरीक्षण गृह 01 (गल्र्ज), श्रद्धानंद आश्रम, एमडीडी बाल भवन शामिल हैं। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिला बाल यूनिट की संरक्षण अधिकारी (संस्थागत) सुमन नैन मौजूद रहीं।

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